Saturday 9 February 2013


मेरी माँ





मैं एक मीठी नींद लेना चाहता  हूँ
४४  की उम्र में भी चाहता हूँ कि
मेरे सर पर हाथ रख कर कोई कहे
सब ठीक हो जाएगा
ठीक वैसे ही जैसे बचपन में माँ
हमें बहलाया करती थी
हमारी उम्मीदें जगाती थीं
मैं इस उम्र में माँ की गोद में
सुकून की नींद लेना चाहता  हूँ
जानता  हूँ समय ठहरता नहीं
बचपन पीछे लौट चुका है
हर वक्त  में वह अपने को मिटाती रही है
घर के लिए सुकून और ख़ुशी तलाशती रही है
यह वही उजाला है जिसे हमारी माँ ने
सूरज से चुराया था , बादलों से छिपाया था
हवा के थपेड़ों से बचाया था
 वही रोशनी है यह जिससे रौशन है अभय“ !

Wednesday 6 February 2013

  मेरे पिताजी: एक महान व्यक्तित्व 


                                                   


आज पिताजी को गुजरे पूरे ४ साल हो गये, फिर भी उन की मौजूदगी का अहसास मेरे जहन में आज भी ज्यों का त्यों ही  है । पिताजी मेरे लिये मेरे जीवन की पृष्ठभूमि थे । जीवन की धूप में वे मेरे लिये ठंडी छांव  थे । वे मेरे जीवन के मार्ग-दर्शक थे । उन्हों ने मुझे न केवल उच्च आदर्शों की शिक्षा दी वरन व्यवहारिक रुप से उन्हें जीवन में स्थापित करने की प्रेरणा भी दी । वे अनुशासन के बडे ही हिमायती थे । उनका मकसद हमें जिंदगी की धूप की तपिश से हमारा परिचय करवाना मात्र था ! आज भी उन्हें याद कर मेरे जेहन में उनकी, एक दृढ व्यक्तित की छबी उभरने लगती है । वे मेरी रुह बन मेरे भीतर आज भी मौजूद हैं । आज भी हर कदम पर जो साहसिकता मैं महसूस  करता हूँ , वह उन के कारण ही संभव  है । वे एक ऐसे शख्स थे, जो तब साथ खडे दिखते थे जब हमलोग  धैर्यहीन हो अपने को असहाय समझ  बैठता  था । उनका साथ, आज भी मैं महसूस करता हूँ जब मैं कोई सफलता हांसिल करता हूँ । जब कभी भी उनका हाथ मेरे सिर पर रखा होता था तब एक सुरक्षाके भाव की अनूभुति अवश्य ही होता था । सच कहूं तो मेरे पिता मेरे जीवन के अहम किरदार ही नहीं मेरे जीवन के संरक्षक भी थे । सब कहते हैं कि उनके चेहरे से, उन के रंगरुप से , मैं उन के सबसे ज़्यादा नज़दीक हूँ । शायद यही वज़ह रहा कि मैंने कई चीज़ें उन्हीं से आत्मसात की । बचपन में उन्हों ने हमे सिखाया था कि सफलता पाने के तमाम गुणों में सबसे अनिवार्य गुण आप का बेहतर व्यवहार ही होना चाहिये जिसे आप को संभाले रखना है । आप को मैं कैसे विश्वास दिलाऊं कि मेरे पिताजी मेरे जीवन के संबल थे , शक्ति थे , वे मेरे लिये मेरी जिंदगी के निर्माणकर्ता थे, निर्णायक थे, विश्वकर्मा थे साथ ही साथ मेरे सर्जनहार भी थे ।  वे नियम के पूरे पक्के थे । उनके गुणों से ही मुझमें ईमानदारी और मानवीय गुण आ पाये जिनकी आज के समय में बड़ी ज़रूरत है । यह उनका ही असर रहा कि मैं हर प्रकार के दुर्गुणों से दूर रहने का हरदम ख्याल  रखता हूँ ।आज मेरे पिताजी तो मेरे साथ नहीं हैं परंतु आज भी ऐसा महसूस होता है कि वे मुझ से दूर रह कर भी, अपनी स्नेहिल छत्रछाया मुझ पर बनाये हुए हैं । शायद उन की सकारात्मक सोच और समझदारी के कारण ही आज में अपना घरसंसार सही तरह चला पा  रहा हूँ  ।
मेरी भी हार्दिक इच्छा है की मै भी उनकी तरह “अभय” मार्गदर्शक,उच्च आदर्शो की शिक्षा, अनुशासन, दृढ़व्यक्तित्व एवं साहसिकता के गुणों को आत्म्सात कर, उनके बिताये गए  क्षण के अनुसार अपने अगली संतति के लिए उच्च जीवन का मार्ग प्रशस्त कर सकूँ । आज मैं उन के इन उपकारों को श्रध्धा-पुष्प चढा, नत-मस्तक हो, प्रणाम करना  चाहता  हूं । उन के आशीर्वाद सदा मुझ पर यों ही बरसते रहें..........आपका बेटा अभय .

Tuesday 5 February 2013


                                 ऋतिक  जन्मदिन मुबारक

इस जिंदगी की दौड़ में ,तू सबको पीछे छोड़ दे
ऋतिक अपनी मंजिल पा ले रस्ते खुद बना ले
तू निकल सबसे आगे  सभी तेरे पीछे - पीछे
लेकिन ईमानदारी मत छोड़ना किसी का दिल मत तोड़ना
चुनौती बहुत कठिन पर हिम्मत से काम ले
कदम कदम मिलाकर जीत का दामन थाम ले
जीत पक्की है बस  माँ भवानी  का नाम ले 
तुम्हें हो हासिल  सागर की खुशियां, मिले वो मोती
हो जिनमें  दुनियाँ, देखे ख्वाब सच्चे हो जाएं
कुछ खुशियों में मुस्कुराए और कुछ  खिलखिलाएँ
बेटा ऋतिक  जन्मदिन मुबारक, साल का ये दिन(०१/०२/१९९९)
मीठे पल  मीठी यादों  के  साथ बारम्बार आये, !...........अभय